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एक बूढ़ा आदमी की काहानी

एक बूढ़ा आदमी की काहानी

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एक छोटी सी नदी थी, नदी के विपरीत किनारे पर एक गाँव था। गाँव में 10 से 12 परिवार रहते थे,

10 से 12 परिवारों में से एक परिवार नदी के किनारे रहता था, परिवारों में 6 सदस्य थे, जिनमें 2 बुजुर्ग, 2 बच्चे और बच्चों के माता-पिता शामिल थे।

और उनके साथ 4 गाय, 10 बकरियाँ और 2 पिल्ले रहते थे।

बच्चों के पिता रोज़ाना काम के लिए गाँव से दूर चले जाते थे, (गाँव से सभी लोग काम के लिए गाँव से दूर जाते हैं।) और बच्चों की दादी हमेशा बच्चों को स्कूल ले जाती और स्कूल से वापस लाती थी।

और बच्चों की माँ हमेशा घर के काम में व्यस्त रहती थी,

और बाकी बच्चों के दादा घर पर बैठे रहते थे क्योंकि वे बूढ़े हो गए थे।

तो दादाजी के पास कोई काम नहीं रहता था,

इसलिए वे हमेशा घर से थोड़ी दूर (50 कदम) एक बरगद पेड़ के नीचे बैठते थे और बकरियों को घुमाने ले जाते थे और उन्हें खाना खिलाते थे।
10 बकरियों में से 2 बकरियाँ को सबसे ज़्यादा प्यार करते थे।

और वह हमेशा अपने दो पिल्लों के साथ खेला करते थे।

एक दिन

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हर दिन की तरह, वह बकरियों को पेड़ के पास ले गए और अपनी खास 2 बकरियों को खिला रहे था,

इतने मैं देखा कि उनका दो पिल्लों मैं से एक दिखाई नहीं देरहा हे।

बूढ़ा आदमी को थोड़ा डर लगा कही कुछ न हो जाये उनका पिल्ला को।

ये सोचते सोचते बूढ़ा आदमी पिल्ला को गाओं के हर जगह ढूंढ ने लगा ढूंढते ढूंढ़ते १ घंटे से ज्यादा हो गया लेकिन पिल्ला मिला नहीं,

तो बूढ़ा आदमी ने उनका दो बकरी को लेके पिल्ला को ढूंढने केलिए नदी के उस पार जाने का सोचा।

नदी के उस पर जाने केलिए उनको एक छोटासा पूल पार करके जाना पड़ेगा,

पुल तो छोटा सा है साथ मैं टुटा फूटा बहुत संकरा भी है।

फिर भी बूढ़ा आदमी ने २ बकरी को लेके पूल के ऊपर से जाने लगा और नदी के उस पार पहंच गया।

बूढ़ा आदमी ने पिल्ला को ढूंढा, ढूंढते ढूंढ़ते थोड़ा आगे मैं पिल्ला मिल गया,

और बूढ़ा आदमी बहत खुसी हुआ और पिल्ला साथ मैं बकरी को लेके आने लगा।

आनेका समय एक बकरी का पैर पुल से फिसल गया बकरी नदी मैं गिर गया,

नदी ज्यादा गहरा नहीं था तो इसलिया बकरी तैरते किनारे पे आगया।

इधर से बूढ़ा आदमी और एक बकरी, और पिल्ला को लेके आगया ,

और आके बरगद पेड़ के पास से सभी बकरी को लेके घर आया।

घर पहंच के पिल्लो को और बकरी को खाना खिलाया और खुस हुआ।
और मन सोचा की और कभी बी अपनी पिल्लो को अकेला नहीं छोडूंगा

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